कभी-कभी बस कच्चे, बिना फिल्टर के सीन में खो जाते हो, हर छोटी डिटेल सामने आती है—सोचो, एकांत जगहें, हल्की रोशनी। सोचो, कोई खोया हुआ पल, एक गंदे कमरे के कोने में रगड़ रहा है और छेड़ रहा है। रोज़मर्रा की सेटिंग में वो चुपके से नज़रें कुछ अलग मूड बनाती हैं।