ये चरम सीन आखिरी पलों को ज़ूम करते हैं, शरीर कांप रहा होता है, उलझी चादरों पर थप्पड़ और निचोड़ चल रहा होता है। एक बार तो लेदर सोफे पर हर मसल टाइट हो गया था, आखिरी धक्के से पहले। वो रॉ एनर्जी हर बार अलग लगती है, खासकर क्लोज़-अप में।