ये सीन अक्सर खाली कमरों में होते हैं, जहां एक शख्स घुटनों पर बैठा होता है और कई लोग आसपास खड़े होकर मुठ मारते हैं। सारा फोकस उस गीलेपन पर रहता है, जो ठोड़ी या कंधों से टपकता दिखता है। एक बार तो लाल टार्प बिछा था, जिससे सब कुछ कच्चा और गंदा लग रहा था।